नासा ने बताया कि मंगल ग्रह के इनसाइट मिशन में वह पहली बार लाल ग्रह के तापमान को मापेगा। इसकी सहायता से ये जानने की कोशिश की जाएगी कि मंगल की सतह पर इतने विशाल पर्वतों का निर्माण कैसे हुआ। नासा का कहना है कि सौर मंडल में मौजूद कई बड़े पर्वत मंगल ग्रह पर हैं। इसमें ओलम्पस मोन्स और एक ज्वालामुखी पर्वत है, जोकि माउंट एवरेस्ट का तीन गुना ऊंचा है। ये पर्वत एक पठार की सीमा निर्धारित करते हैं, जहां तीनों ज्वालामुखी पर्वत धरातल पर हावी हैं।
नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की योजना है कि इस ग्रह के तापमान का मापन किया जाए, जिससे कि पता चले कि ग्रह पर ऊष्मा के कौन से प्रवाह से ये भौगोलिक आकृति बन रही है। इस ऊष्मा की पहचान करना इनसाइट मिशन का सबसे कठिन हिस्सा होगा जो कि नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी संभालेगी। इनसाइट के 26 नवंबर को मंगल की जमीन पर उतरने की संभावना है।
नासा की लैबोरेटरी के वैज्ञानिक सुइ स्मर्कर का कहना
नासा के अनुसार, यह पहला मिशन होगा जो इस ग्रह का गहराई से अध्ययन करेगा। नासा का कहना है कि लाल ग्रह की ऊष्मा का प्रवाह और एचपी3 इंस्ट्रूमेंट का प्रयोग यह जानने के लिए किया जाएगा कि आंतरिक भाग से किस प्रकार मंगल की सतह पर ऊष्मा पहुंच रही है। यह ऊष्मा करीब 40 करोड़ साल पहले मंगल की उत्पत्ति के दौरान कई हिस्सों में जमा हुई थी। इसका कारण पर्वत के आंतरिक भागों में रेडियोएक्टिव तत्वों का क्षय भी है।
नासा की लैबोरेटरी के वैज्ञानिक सुइ स्मर्कर का कहना है कि मंगल की अधिकतर भौगोलिक अवस्था का कारण यह ऊष्मा ही है, जबकि वैज्ञानिक मंगल की आंतरिक संरचना का मॉडल तैयार कर चुके हैं। वहां इनसाइट इसकी असली सच्चाई पता लगाने में मदद करेगा। इसमें लगे सेंसर मंगल की प्राकृतिक आंतरिक ऊष्मा का मापन करेंगे।