रालेगणसिद्धी में अनशन कर चुके अन्ना हजारे की तबीयत अचानक खराब हो गई है, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। हजारों अन्ना समर्थकों को उनके सेहत की चिंता सता रही है। वहीं अन्ना की तबीयत को लेकर सरकार और जिला प्रशासन भी सचेत है।
अन्ना हजारे अस्पताल में भर्ती,
दरअसल लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति को लेकर अन्ना हजारे बेमियादी अनशन करते रहे हैं। 82 साल के बुजुर्ग गांधीवादी नेता अन्ना हजारे का इससे पहले भी अनशन का इतिहास रहा है। साल 2011 और 2013 में अन्ना ने अपने अनशन के जोर पर केंद्र सरकार तक को हिला कर रख दिया था।
हालांकि इस बार रालेगण सिद्धी में अन्ना के अनशन को उतना कवरेज नहीं मिल सका।जानकार बताते हैं कि रालेगणसिद्धी में इस बार अन्ना ने नेताओं के आने और मंच साझा करने पर बैन लगा दिया था। जिसकी वजह से मीडिया का आकर्षण भी कम हुआ। वहीं अन्ना ने एक बार फिर वही मुद्दे उठाए हैं जो उन्होंने पहले साल 2011 में उठाए थे। ऐसे में बार बार के अनशन से इस बार आम लोगों की दिलचस्पी भी कम हुई। लगातार सात दिन तक भूख हड़ताल पर बैठे अन्ना का अनशन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समाप्त करवाया था।
लोकपाल एवं लोकायुक्तों की नियुक्ति, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने जैसे मुद्दों पर सरकार को चुनौती देने वाले अन्ना अब अपनी सेहत से जूझ रहे हैं।
आम धारणा है कि अन्ना के हालिया अनशन ने उन्हें जिस्मानी तौर पर काफी नुकसान पहुंचाया है। अगर ऐसा है तो सरकार के लिए बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि अन्ना का बेहतर से बेहतर इलाज कराया जाय। ताकि देश के इस प्रभावी गांधीवादी नेता सक्रिय रह सकें। फिलहाल अन्ना हजारे की मेडिकल रिपोर्ट आनी बाकी है।